Hindi Grammar : सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण [Hindi Vyakaran Notes]

Hindi Vyakaran (हिंदी व्याकरण) : यदि आप यूपी बोर्ड कक्षा वीं के लिए हिंदी व्याकरण तैयार करना चाहते है यहां Hindi Grammar Notes उपलब्ध कराया गया है। इसके साथ ही रोजाना हिंदी व्याकरण, हिंदी भाषा, लेखन, निबंध, English, Math, Science, Sanskrit, Social Science, मॉडल पेपर, Subject Wise MCQs Quiz, अपडेट किये जाते हैं।

Index of Hindi Vyakaran

Index of Hindi Vyakaran

भाषा (Language)

भाषा वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार, भाव और अनुभव व्यक्त करता है। ध्वनि, शब्द और वाक्य भाषा के मूल तत्व हैं जिनकी व्यवस्थित व्यवस्था से संपूर्ण भाषा बनती है। किसी भी हिंदी व्याकरण के अध्याय को समझने से पहले भाषा की परिभाषा, प्रकार और महत्त्व जानना ज़रूरी है, क्योंकि यही आगे के सभी नियमों की नींव तैयार करती है।

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हिन्दी भाषा (Hindi Language)

हिन्दी भाषा भारत की राजभाषा है और विश्व की प्रमुख भाषाओं में एक है। यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और शिक्षा, प्रशासन, मीडिया तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में व्यापक रूप से प्रयोग होती है। Hindi grammar और शब्दावली पर अच्छी पकड़ से विद्यार्थी लिखित व मौखिक दोनों रूपों में प्रभावशाली संचार कर पाते हैं।

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वर्ण (Varna)

वर्ण भाषा की सबसे छोटी ध्वनि इकाई है। हिन्दी वर्णमाला में स्वर और व्यंजन मिलकर वर्ण बनाते हैं। सही उच्चारण, वर्तनी और शब्द निर्माण के लिए वर्णों की संख्या, क्रम और वर्गीकरण समझना जरूरी है। प्रतियोगी परीक्षाओं और कक्षा 6–10 के लिए यह हिंदी व्याकरण का आधारभूत अध्याय है।

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शब्द (Shabd)

शब्द वह ध्वनि समूह है जो किसी निश्चित अर्थ को प्रकट करे। हिन्दी व्याकरण में शब्द की उत्पत्ति, भेद, संरचना और शुद्ध-अशुद्ध रूप का अध्ययन किया जाता है। मजबूत शब्द भंडार से भाषा प्रभावशाली बनती है और निबंध, पत्र, कहानी आदि लिखने में आसानी होती है।

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पद (Pad)

वाक्य में प्रयोग होने वाला प्रत्येक अर्थपूर्ण शब्द पद कहलाता है। पद के आधार पर ही संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि की पहचान की जाती है। वाक्य विश्लेषण, पद-परिचय और कारक संबंध समझने के लिए पद का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है, इसलिए यह बोर्ड एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछा जाता है।

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काल (Kaal / Tense)

काल से क्रिया के समय का बोध होता है – वर्तमान, भूत और भविष्य। सही काल के प्रयोग से वाक्य की समय-संबंधी स्थिति स्पष्ट होती है। बोर्ड परीक्षाओं में क्रिया-रूप, वाक्य परिवर्तन और अनुच्छेद लेखन में काल का सही ज्ञान अच्छे अंक दिलाता है।

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वाक्य (Vakya)

पूर्ण अर्थ प्रकट करने वाले शब्दों का समूह वाक्य कहलाता है। सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य के भेद, वाक्य शुद्धि और वाक्य परिवर्तन जैसे टॉपिक इसी अध्याय में आते हैं। सही वाक्य-रचना से हिंदी लेखन स्पष्ट, प्रभावशाली और त्रुटिहीन बनता है।

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विराम चिन्ह (Punctuation)

विराम चिन्ह लेखन को सही ठहराव और स्पष्टता देते हैं। अल्पविराम, पूर्णविराम, प्रश्नवाचक, उद्धरण चिन्ह आदि के उचित प्रयोग से वाक्य का अर्थ बदले बिना सही रूप में सामने आता है। निबंध, पत्र और अनुच्छेद लेखन में अच्छे अंक लाने के लिए विराम चिन्हों का ज्ञान ज़रूरी है।

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संज्ञा (Sangya)

जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण या भाव का बोध हो, उसे संज्ञा कहते हैं। व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, द्रव्यवाचक और भाववाचक इसके मुख्य भेद हैं। पद-परिचय, कारक और वचन जैसे प्रश्नों की शुरुआत इसी अध्याय से होती है, इसलिए संज्ञा का अभ्यास अवश्य करें।

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सर्वनाम (Sarvanam)

जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग हों वे सर्वनाम कहलाते हैं, जैसे – वह, वे, यह, मैं। सर्वनाम के प्रकार, पुरुष और वचन के अनुसार क्रिया-रूप बदलते हैं। सही सर्वनाम प्रयोग से भाषा संक्षिप्त और सुगम बनती है, इसलिए यह हिंदी व्याकरण का महत्वपूर्ण भाग है।

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विशेषण (Visheshan)

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताए, वह विशेषण कहलाता है। गुणवाचक, परिमाणवाचक और संबंधवाचक विशेषण भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाते हैं। परीक्षा में पद-परिचय और वाक्य सुधार के प्रश्नों के लिए विशेषण की पहचान अच्छी तरह आनी चाहिए।

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क्रिया (Kriya)

क्रिया उस कार्य, घटना या स्थिति को प्रकट करती है जो कर्ता द्वारा की जाती है या होती है। सकर्मक-अकर्मक, सहायक क्रिया, वाच्य और काल सभी क्रिया से जुड़े टॉपिक हैं। सही क्रिया-रूप के बिना कोई भी वाक्य व्याकरण की दृष्टि से पूर्ण नहीं माना जाता।

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क्रिया विशेषण (Kriya Visheshan)

जो शब्द क्रिया, विशेषण या किसी अन्य क्रिया विशेषण की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं। समय, स्थान, रीति और परिमाणवाचक क्रिया विशेषण वाक्य को अधिक स्पष्ट बनाते हैं। यह टॉपिक competitive exams और बोर्ड दोनों के लिए scoring है।

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समुच्चय बोधक (Conjunction)

समुच्चय बोधक वे अव्यय हैं जो दो शब्दों, पदों या वाक्यों को जोड़ते हैं, जैसे – और, लेकिन, क्योंकि। इनके प्रयोग से वाक्य सुगठित और अर्थपूर्ण बनता है। वाक्य-विश्लेषण और अव्यय संबंधी प्रश्नों में यह टॉपिक बार-बार पूछा जाता है।

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विस्मयादि बोधक (Interjection)

अचानक उत्पन्न होने वाले हर्ष, दुख, आश्चर्य या क्रोध आदि भाव व्यक्त करने वाले शब्द विस्मयादि बोधक कहलाते हैं, जैसे – हाय!, अरे!, वाह!। ये वाक्य को भावनात्मक और जीवंत बनाते हैं तथा अव्यय वर्ग का छोटा लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

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संबंध बोधक (Preposition)

संबंध बोधक वे अव्यय हैं जो संज्ञा या सर्वनाम का दूसरे शब्दों से संबंध दिखाते हैं, जैसे – के लिए, के कारण, से, तक। कारक और विभक्ति समझने में यह अध्याय बहुत मददगार है और वाक्य विश्लेषण में सीधे-सीधे पूछा जाता है।

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निपात अवधारक (Nipat)

निपात ऐसे अव्यय होते हैं जो वाक्य में सूक्ष्म भाव या बल जोड़ते हैं, जैसे – ही, भी, तो, न। ये अकेले अर्थपूर्ण नहीं होते पर अन्य शब्दों के अर्थ को सीमित या प्रबल बनाते हैं। अव्यय संबंधी प्रश्नों में निपात की पहचान अक्सर परीक्षार्थियों को उलझा देती है।

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वचन (Vachan)

वचन से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है – एकवचन या बहुवचन। कर्ता और क्रिया के बीच संगति रखने के लिए वचन का सही प्रयोग महत्वपूर्ण है। शुद्ध-अशुद्ध वाक्य और पद-परिचय में यह टॉपिक सीधे पूछा जाता है।

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लिंग (Ling)

हिन्दी में मुख्य रूप से पुल्लिंग और स्त्रीलिंग दो लिंग माने जाते हैं। लिंग के अनुसार विशेषण और क्रिया का रूप बदलता है। लिंग परिवर्तन, वर्तनी सुधार और पद-परिचय में लिंग संबंधी प्रश्न अवश्य पूछे जाते हैं, इसलिए इसका अभ्यास आवश्यक है।

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कारक (Karak)

कारक संज्ञा या सर्वनाम और क्रिया के बीच संबंध को दर्शाता है। कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, अधिकरण और संबंध – ये सात कारक माने जाते हैं। विभक्ति-चिह्नों के साथ कारक का ज्ञान वाक्य रचना और पद-परिचय में उच्च अंक दिलाता है।

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पुरुष (Purush)

वाचक की दृष्टि से शब्दों को प्रथम, मध्यम और उत्तम पुरुष में बाँटा जाता है। पुरुष के अनुसार सर्वनाम और क्रिया-रूप बदलते हैं, जैसे – मैं जाता हूँ, तुम जाते हो, वह जाता है। वाक्य-रचना और क्रिया परिवर्तन के लिए यह अध्याय बहुत महत्वपूर्ण है।

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उपसर्ग (Upasarg)

शब्दों के आगे जुड़कर उनके अर्थ में विशेष परिवर्तन करने वाले अंश उपसर्ग कहलाते हैं, जैसे – अ-, अव-, प्रति-, अनु-। उपसर्ग से बने शब्दों का अध्ययन शब्द-रचना और वर्तनी सुधार में बहुत मददगार होता है और competitive exams में अक्सर पूछा जाता है।

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प्रत्यय (Pratyay)

शब्दों के अंत में जुड़कर नए शब्द बनाने वाले अंश प्रत्यय कहलाते हैं, जैसे – ता, वाला, ई, आन। उपसर्ग और प्रत्यय दोनों मिलकर हिंदी शब्द भंडार को समृद्ध करते हैं। शब्द-रचना, शुद्ध-अशुद्ध शब्द और competitive exams के लिए यह अध्याय अत्यंत उपयोगी है।

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अव्यय (Avyay)

अव्यय वे शब्द हैं जिनके रूप लिंग, वचन, पुरुष या कारक के अनुसार नहीं बदलते। क्रिया विशेषण, समुच्चय बोधक, निपात और संबंध बोधक सभी अव्यय की श्रेणी में आते हैं। अव्यय की सही पहचान से वाक्य विश्लेषण और पद-परिचय के प्रश्न सरल हो जाते हैं।

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संधि (Sandhi)

दो वर्णों के मेल से होने वाला रूप परिवर्तन संधि कहलाता है। हिन्दी में स्वरसंधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि मुख्य मानी जाती हैं। शुद्ध लेखन, समास और शब्द-रचना समझने के लिए संधि अध्याय बेहद महत्वपूर्ण है।

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छन्द (Chhand)

कविता में मात्राओं और वर्णों की निश्चित योजना को छन्द कहते हैं। छन्द से ही काव्य में लय, संगीतात्मकता और सौंदर्य आता है। हिन्दी काव्यशास्त्र तथा बोर्ड की कविता संबंधी व्याख्या में छन्द का ज्ञान उपयोगी साबित होता है।

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समास (Samas)

दो या अधिक शब्दों को संक्षिप्त रूप में जोड़कर बनने वाले शब्द समास कहलाते हैं। अव्ययीभाव, तत्पुरुष, द्वंद्व और बहुव्रीहि इसके चार मुख्य भेद हैं। समास विग्रह और वाक्य के अर्थ की गहराई समझने के लिए यह अध्याय महत्वपूर्ण है।

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अलंकार (Alankaar)

अलंकार काव्य की शोभा बढ़ाने वाले उपकरण हैं। शब्दालंकार और अर्थालंकार के माध्यम से कविता अधिक सुंदर, प्रभावशाली और यादगार बनती है। उपमा, रूपक, अनुप्रास, अतिशयोक्ति आदि अलंकार स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाते हैं।

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रस (Ras)

काव्य के माध्यम से उत्पन्न होने वाला स्थायी भाव रस कहलाता है। श्रृंगार, वीर, करुण, रौद्र आदि नौ रस हिन्दी काव्यशास्त्र के आधार हैं। कविता और नाटक में “कौन-सा रस है?” जैसे प्रश्न परीक्षाओं में सामान्यतः पूछे जाते हैं।

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विलोम शब्द (Antonyms)

अर्थ की दृष्टि से एक-दूसरे के विपरीत अर्थ बताने वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते हैं, जैसे – दिन/रात, लाभ/हानि। विलोम शब्दों का अभ्यास शब्द-भंडार मजबूत करता है और लगभग हर परीक्षा में पूछे जाने वाला आसान, scoring टॉपिक है।

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तत्सम–तद्भव शब्द (Tatsam–Tadbhav)

संस्कृत से बिना बदले लिये गए शब्द तत्सम और समय के साथ बदले रूप तद्भव कहलाते हैं। भाषा के विकास, उच्चारण और वर्तनी की शुद्धता समझने के लिए यह अध्याय बहुत उपयोगी है और बोर्ड व प्रतियोगी परीक्षाओं में नियमित रूप से पूछा जाता है।

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पर्यायवाची शब्द (Synonyms)

एक ही अर्थ व्यक्त करने वाले भिन्न-भिन्न शब्द पर्यायवाची कहलाते हैं, जैसे – जल, पानी, नीर। पर्यायवाची शब्द भाषा को समृद्ध और सुंदर बनाते हैं। निबंध, पत्र, अनुछेद और competitive exams के लिए यह अध्याय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

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अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (One Word Substitutes)

कई शब्दों से व्यक्त होने वाली अवधारणा को एक ही शब्द से प्रकट करना एक शब्द कहलाता है, जैसे – जो सब जगह घूमे = विश्वयात्री। यह टॉपिक संक्षिप्त और सटीक लेखन के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत उपयोगी है।

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एकार्थक शब्द (Similar Meaning Words)

अर्थ में लगभग समान लेकिन प्रयोग में सूक्ष्म भिन्नता रखने वाले शब्द एकार्थक शब्द कहलाते हैं। सही संदर्भ में उचित शब्द चुनने से भाषा परिपक्व लगती है। यह अध्याय शब्द-ज्ञान और objective questions दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है।

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अनेकार्थक शब्द (Anekarthak)

एक ही शब्द के अनेक अर्थ हों तो वह अनेकार्थक शब्द कहलाता है, जैसे – कल, रस, हार। संदर्भ के अनुसार अर्थ बदल जाता है। गद्य-पाठ, अपठित बोधन और व्याकरणिक प्रश्नों में यह टॉपिक अक्सर उपयोगी रहता है।

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युग्म शब्द (Confusing Pairs)

रूप में मिलते-जुलते पर अर्थ में भिन्न शब्द युग्म शब्द कहलाते हैं। जैसे – अर्थ/अर्थिक, आशा/आशय आदि। शुद्ध-अशुद्ध वाक्य और वर्तनी सुधार में यह टॉपिक छात्रों को अक्सर उलझा देता है, इसलिए नियमित अभ्यास आवश्यक है।

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शुद्ध–अशुद्ध वाक्य और शब्द

व्याकरण की दृष्टि से सही रूप को शुद्ध और गलत रूप को अशुद्ध कहा जाता है। वाक्य और शब्दों में होने वाली सामान्य गलतियाँ पहचानकर उन्हें सही करना इस अध्याय का उद्देश्य है। Class 10 Hindi board में यह high-scoring हिस्सा माना जाता है।

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मुहावरे (Idioms)

मुहावरे स्थिर वाक्यांश होते हैं जिनका अर्थ लाक्षणिक होता है, जैसे – नाक कटना, दाँत खट्टे करना। इनके प्रयोग से भाषा रोचक और प्रभावशाली बनती है। कक्षा 6–12 और सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरों के अर्थ व प्रयोग से जुड़े प्रश्न अवश्य आते हैं।

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लोकोक्तियाँ (Proverbs)

जन-अनुभव और जीवन के सत्य पर आधारित स्थिर कथन लोकोक्तियाँ कहलाते हैं, जैसे – जैसा बोओगे, वैसा काटोगे। ये कम शब्दों में गहरी सीख देती हैं। निबंध, अनुछेद और संवाद लेखन में लोकोक्तियों का सही प्रयोग प्रभाव बढ़ा देता है।

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पद रचनाएँ (Padya Rachnayein)

छंद और लय में लिखी गई काव्य रचनाएँ पद रचनाएँ कहलाती हैं। इनका अध्ययन करते समय भाव, रस, अलंकार और भाषा-शैली पर विशेष ध्यान दिया जाता है। काव्य-खंड के अंशों की व्याख्या और परीक्षा की तैयारी के लिए यह अध्याय महत्वपूर्ण है।

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गद्य रचनाएँ (Gadya Rachnayein)

कहानी, निबंध, संस्मरण, नाटक आदि गद्य रचनाएँ कहलाती हैं। इनमें कथानक, चरित्र-चित्रण, भाषा-शैली और संदेश का विश्लेषण किया जाता है। पाठ-आधारित प्रश्नों, सार-लेखन और प्रसंग व्याख्या के लिए गद्य की समझ मजबूत होना जरूरी है।

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जीवन परिचय (Biography)

किसी महापुरुष के जन्म, शिक्षा, संघर्ष, उपलब्धियों और व्यक्तित्व का संक्षिप्त विवरण जीवन परिचय कहलाता है। बोर्ड परीक्षा में किसी लेखक या कवि का जीवन परिचय संक्षेप में लिखने के प्रश्न आते हैं। उचित क्रम, सरल भाषा और मुख्य बिंदुओं का उल्लेख यहाँ सबसे अधिक महत्त्व रखता है।

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पत्र लेखन (Letter Writing)

पत्र लेखन औपचारिक व अनौपचारिक दोनों प्रकार के लिखित संचार का माध्यम है। आधिकारिक पत्र, आवेदन पत्र, संपादक को पत्र तथा निजी पत्र – सभी के अलग-अलग प्रारूप और भाषा-शैली होती है। बोर्ड एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में सही format और विनम्र भाषा से पूरे अंक प्राप्त किए जा सकते हैं।

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निबंध लेखन (Essay Writing)

किसी विषय पर सुव्यवस्थित, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली विचार-प्रस्तुति निबंध कहलाती है। सफल निबंध में स्पष्ट भूमिका, क्रमबद्ध मुख्य भाग, उदाहरण और सारगर्भित उपसंहार होते हैं। Class 10 Hindi board में निबंध लेखन high-scoring भाग है, इसलिए निरंतर अभ्यास बहुत जरूरी है।

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